खुशखबरी! सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बेटियों को NDA की परीक्षा देने का मिला अधिकार
Women can Sit For NDA Exam: सुप्रीम कोर्ट ने अब 10वीं और 12वीं पास महिला कैंडिडेट को NDA एग्जाम देने की इजाजत दे दी है. अब हर महिला को परमानेंट कमांड ऑफिसर के रूप में NDA में नियुक्त होने के लिए ट्रेंड होने का अवसर मिलेगा.
Women can Sit For NDA Exam: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज देश दी बेटियों के एज्यूकेशन को लेकर बड़ा फैसला किया है. कोर्ट ने महिला कैंडिडेट (Female Candidate) को एनडीए एग्जाम्स (NDA Exams) में बैठने की इंजाजत दे दी है. अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. जिसपर बुधवार को सेना को जमकर फटकार लगाई गई और अपना अंतरिम ऑर्डर पास करते हुए महिलाओं को 5 सितंबर को होने वाली नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) परीक्षा में शामिल होने की मंजूरी देने के निर्देश दिए. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि एडमिशन कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होंगे.
बता दें कोर्ट में सनुवाई दे दौरान सेना ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, 'यह एक नीतिगत निर्णय है, जिस पर जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय "लिंग भेदभाव" (Gender Discrimination) पर बेस्ड है.'
Supreme Court orders allowing women to take the National Defence Academy (NDA) exam scheduled for September 5th. The Apex Court says that admissions will be subject to the final orders of the court pic.twitter.com/8YVgaxz5O8
— ANI (@ANI) August 18, 2021
सुप्रीम कोर्ट ने सेना की लगाई फटकार
इसके चलते सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सेना को फटकार लगाते हुए कहा कि, 'आपको हर बार आदेश पारित करने के लिए न्यायपालिका की आवश्यकता क्यों है. (Women to Sit For NDA Exam) आप न्यायपालिका को आदेश देने के लिए बाध्य कर रहे हैं. यह बेहतर है कि आप (सेना) अदालत के आदेशों को इंवाइट करने के बजाय इसके लिए ढांचा तैयार करें. हम उन लड़कियों को एनडीए (NDA) परीक्षा में बैठने की मंजूरी दे रहे हैं, जिन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
TRENDING NOW
(Supreme Court allows women to take NDA exam) इसके साथ ही पीठ ने महिला उम्मीदवारों के खिलाफ 'लगातार लैंगिक भेदभाव' (Persistent gender discrimination) पर भारतीय सेना को फटकार लगाई और यह भी कहा कि भारतीय नौसेना (Indian navy) और वायु सेना (Air Force) ने पहले ही प्रावधान कर दिए हैं, लेकिन भारतीय सेना अभी भी पीछे है.
याचिकाकर्ता ने दी थी ये दलील
याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा कि 10+2 क्लास की शिक्षा रखने वाली पात्र महिला कैंडिडेट को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा देने के अवसर से वंचित कर दिया जाता है. जो मौलिक नियमों के खिलाफ है. जबकि, समान रूप से 10+2 स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले पुरुष कैंडिडेट को परीक्षा देने और क्वालिफाइड करने के बाद भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) में परमानेंट कमांड ऑफिसर के रूप में नियुक्त होने के लिए ट्रेंड होने के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी में शामिल होने का अवसर मिलता है.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें
06:07 PM IST